सोमवार, 13 अगस्त 2012

मकसद है विपक्ष बनना, राम देव हो चाहे टीम अन्ना!

अन्ना टीम और रामदेव के आंदोलन ठहराव का शिकार हो चुके हैं कहा जा सकता है कि कोई भी बाहरी ताकत इस ठहराव के लिए कसूरवार नहीं है इसके लिए इनकी आंतरिक गति ही जिम्मेदार है।कहने को तो अन्ना टीम सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल लाने से इसकी शुरूआत करते हुए दिखती है, और रामदेव कालेधन के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। वास्तव में जैसा इन आंदोलनों का स्वरूप दिखता है वैसा है नहीं। ये दोनों आंदोलन मूलतः सरकार के खिलाफ नहीं है और न ही सिस्टम के खिलाफ हैं क्योंकि अन्ना टीम के पास लोकपाल से आगे की कोई योजना, तस्वीर और कार्यक्रम नहीं है और रामदेव का आंदोलन तो केवल कालेधन के मुद्दे तक ही सीमित हैं इससे आगे वे कुछ कहते ही नही हैं। वास्तव में ये दोनों आंदोलन इसलिए पैदा हुए हैं क्योंकि हमारे देश में विपक्ष की जगह खाली पडी थी ,दक्षिणपंथी हों वामपंथी हो या मध्यमार्गी सभी वैचारिक दिवालिएपन से ग्रस्त हैं इसलिए इनकी भूमिका किसी को तो निभानी ही है यही सोचकर केजरीवाल, किरण बेदी और रामदेव जैसे लोग अपनी किस्मत आजमाने राजनीति के मैदान में कूद पडे हैं लेकिन राजनीति को कुछ सकारात्मक दें सके यह इनकी सामर्थ्य नहीं है। टीम अन्ना और रामदेव इस आपाधापी में है कि किसी तरह इस रिक्त स्थान पर अपना कब्जा कर लिया जाए इससे अधिक इन आंदोलनों में कोई सम्भावना दिखाई नहीं देती है। अन्ना और अन्ना टीम में तो कुछ-कुछ वैचारिक और सैद्धान्तिक मतभेद है जिसका संघर्ष समय-समय पर सतह में दिखता रहता है लेकिन राम देव तो खुलेआम भारतीय जनता पार्टी के लिए ही काम कर रहे हैं इसमें थोडी बहुत इनकी निजी महत्वकांक्षा भी काम कर रही है लेकिन मूलतः रामदेव का आंदोलन भाजपा का ही आंदोलन है जो चाहती है कि  पिछले दरवाजे से अंादोलनों में संेध लगाये रखी जाए। भाजपा के लिए रामदेव से बेहतर कोई विकल्प नहीं था, इससे दोनों के स्वार्थों की पूर्ती हो रही है।
              सवाल यह उठता है कि अन्ना और अन्ना टीम के बीच का संघर्ष और इनकी स्थिति क्या है। अन्ना टीम में वे लोग है जो हमारे देश के मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के बीच पनपे वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, केजरीवाल और किरण बेदी जैसे लोग जो खुद बडे-बडे एन0जी0ओ0 चलाते हैं और इनकी आथर््िाक स्थिति इतनी मजबूत है कि सरकार के एक नोटिस पर दस-बीस लाख रूपये यॅू ही जमा कर देते हैं। दरअसल ये वर्ग नई आर्थिक नीतियों के बाद पैदा हुए धनवानों का प्रतिनिधि है। इसमें अचानक उॅची हो गयी तनख्वाह पाने वाले लोग और दूसरे रहस्यमय तरीकों से इसी तरह रातों-रात अमीर हो गये लोगों की नैतिक दुहाई भर है। ये लोग अन्ना को अपने ब्रान्ड ऐम्बेसडर के तौर तक ही सीमित करना चाहते हैं लेकिन अन्ना अपनी सीमाओं के बावजूद इन सब में उम्मीद की किरण है। अन्ना टीम और रामदेव का क्या सपना है ये तो वे ही जानें लेकिन इनमें मौलिकता नहीं है ये केवल विपक्ष की जगह लेना चाहते हैं जो कि काफी समय से रिक्त है। देश नई रचना चाहता है सत्ता में कौन आये विपक्ष में कौन आये इससे लोगों को कोई राहत मिलने वाली नहीं है।



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