बुधवार, 22 मार्च 2017

भगत सिंह से भक्त सिंह तक ।

किसी भी व्यक्ति के लिए सपनों से अधिक मौलिक और कोई निजी चीज नहीं होती है, हर ख्वाब का अपना ही एक आकाश है, लेकिन यह भी सत्य है कि कुछ सपने ऐसे भी होते हैं जो सारी मौलिकताओं, निजताओं और यात्राओं को अपने में समाहित कर लेते हैं। भगत सिंह का ख्वाब भी ऐसा ही था। हम पाते हैं कि उन्होंने जो सपना देखा था वह हमारे ही सपनों का विस्तार है, हम उनमें ही कहीं खो से जाते हैं।  इसीलिए भगत सिंह रह रह कर याद आते हैं।  लेकिन हम इतने छोटी बुद्धि के चालाक व्यक्ति हैं कि उन पर हमारा भरोसा बनने के बावजूद भी हम खुद पर भरोसा नहीं करते हैं इसलिए हम कभी मोदी के सपनों का भारत बनाने में लग जाते हैं, कभी राहुल, लालू,  नितिश, अमरिंदर सिंह ,आदित्यनाथ और अमित साह के सपने पूरे करने में लग जाते हैं।  यह किसी के भी समझ से परे है कि हम दूसरों के सपनों का संसार नहीं पा सकते हैं। मोदी यदि कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं तो यह उनका अपना सपना है। वे गरीबी मुक्त भारत की बात बिल्कुल नहीं कर सकते हैं आने वाली शताब्दियों तक वे इसका भरोसा नहीं दे सकते हैं यकीनन वे विकास की बात कर सकते है क्योंकि विकास गरीबी का भी हो सकता है, बेरोजगार से लेकर मंहगाई तक हर समस्या विकास/विस्तार लेती जा रही है। वे 2019 और 2024 की बातें करते हैं तो यह उनकी चाहत है। हम उनकी चाहत पूरी करने में जुटे हैं। कोई सत्ता में वापसी करना चाहता है बाकी लोग मोदी रोको के नारे लगाकर उसमें अपने सपने देख रहे है। यदि हम निरपेक्ष होकर केवल अपने ही सपने देखें तो पायेगें कि हम सबके सपने पूरे होने का एक ही तरीका है और वह है भगत सिंह का रास्ता। लेकिन यह भी सच है कि हम चाह कर भी दूसरों के रास्ते में नहीं चल सकते हैं चाहे वह भगत सिंह का ही रास्ता क्यों ना हो। हम अपने ही रास्ते चलकर भगत सिंह के करीब कैसे हो सकते हैं उनसे जान पहचान बढाई जाए फिलहाल तो इतना ही काफी होगा। भगत सिंह ने कल्पना भी नहीं की होगी कि आने वाला दौर भक्तों का हो सकता है। मायावती से लेकर ममता ,मुलायम, लालू अखिलेश, कांग्रेस या मोदी ये सभी ऐसे भक्तों के ही सहारे हैं जो अपने सपने भूलकर इनके सपने पूरे करने में लगे हैं।



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