रविवार, 17 जुलाई 2011

तुम्हारी बैचैनी को सलाम।

लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना का आंदोलन अब तक वह गति नहीं पकड सका है जैसी कि इस आंदोलन ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पकडी थी। भ्रष्टाचार विरोध के लिए लोगों को आंदोलित करने में अन्ना की नेतृत्वकारी भूमिका रही है। लेकिन लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना को वह समर्थन अब तक नहीं मिल पाया है, जैसा कि उन्हें पहले मिला था ।अन्ना कितने ही कठोर मानदंडो पर लोकपाल को कस लें अन्ततः लोकपाल इसी तंत्र का हिस्सा होगें ,क्योंकि इस तंत्र से उपर लोकपाल को रखना सम्भव नहीं है। इसके लिए सद्इच्छा तो कोई भी कर सकता है लेकिन वास्तव में ऐसा कर पाना असम्भव है। इसीलिए यह विश्वास करना कठिन है कि भ्रष्टाचार मिटाने के लिए इसी तंत्र में कोई गुंजाईस बची है। यह लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि, जिस तंत्र में ही भ्रष्टाचार व्याप्त है, वही इससे कैसे निबट सकता है ? दरअसल भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी को अलग-अलग देखने के कारण ही समस्या है।दुर्गन्ध को तब तक समाप्त नहीं किया जा सकता है तब तक कि गन्दगी को साफ न किया जाए । लेकिन हम केवल दुर्गन्ध हटाने की मांग करते है और गन्दगी पर कुछ भी कहने से कतराते है। भ्रष्टाचार की दुर्गन्ध तब तक लोगों को परेशान करती रहेगी जब तक कि मूल कारणों पर बात करने से लोग कतराते रहेगें। कितने ही लोकपाल गठित कर लिए जांए भ्रष्टाचार से लोगों को मुक्ति मिल सकेगी इसका यकीन कोई भी नहीं दिला सकता है, अन्ना भी नहीं ।
भ्रष्टाचार की दुर्गन्ध को समझने के लिए एक उदाहरण स्वास्थ्य नीति भी हो सकती है। सरकार जिस तरह लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी निजि क्षेत्र को सौंपती जा रही है उससे साफ है कि निजि क्षेत्र की जो भी कम्पनियां इसमें निवेश कर रही हैं वे हमेशा चाहेंगी कि लोग जितना अस्वस्थ्य रहेगें उनका उतना ही फायदा होगा और यह व्यापार फैलेगा, इसलिए मुनाफा कमाने के लिए कोई भी कम्पनी यदि चुपचाप बीमारियां भी फैलाने लगे तो अचरज नहीं होना चाहिए। क्योंकि व्यापार का यही नियम है कि पहले मांग पैदा करो फिर कम मात्रा में आपूर्ति करो तभी मुनाफा होगा। चूंकि सरकार ने उन्हें व्यापार की अनुमति दी है , इसलिए इसे अनैतिक भी नहीं कहा जा सकता है।
ऐसे ही तमाम परोक्ष कारण हैं जिनसे लोग बैचैनी अनुभव कर रहे है और अन्ना 16 अगस्त की तैयारी में जुटे हैं। अन्यथा सत्तर वर्ष से अधिक की उम्र में कोई इस तरह बैचैन हो जाता ? उनके लिए तो कुछ नहीं कहा जा सकता है जो चैन की बंशी बजा रहे हैं लेकिन अन्ना तुम्हारी बैचैनी को सलाम।

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