शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

एफ0डी0आर0 पर नाटक!

खुदरा क्षेत्र में विदेशी कम्पनियों के सीधे और एकाधिकारी प्रवेश की अनुमति के खिलाफ पूरे विपक्ष ने विरोध स्वरूप देश व्यापी हडताल का भी आयोजन किया, हालांकि विपक्ष इस तथ्य से पूरी तरह परिचित है कि एफ0डी0आर0 आज की परिस्थिति में इस देश का प्रारब्ध बना दिया गया है। इस प्रारब्ध को बदलने की सामर्थय और थोडी सी इच्छा इस विपक्ष में नहीं है,वास्तविक विरोध करना विपक्ष का  मकसद भी नहीं है रस्मी विरोध को इनके द्वारा केवल आडम्बरपूर्ण बनाया जा रहा है। सरकार की नीति जनविरोधि ही सही  लेकिन इसमें रचनात्मकता है सरकार के अपने तर्क हैं और तर्को के लिए अपने को दॉव में लगाने का संकल्प भी है। लेकिन विपक्ष विरोध करने के काबिल भी नहीं रह गया है वही पुराना बाजार बन्द का आह्वाहन और संसद की कार्यवाही का बहिष्कार ,कहीं से भी नहीं लगता है कि देश के प्रति जिम्मेदारी का जरा भी एहसास विपक्ष को होगा।सरकार ने जो कुछ करना है वह खुलेआम कर रही है लेकिन विपक्ष जो कुछ कर रहा है उसकी कथनी और करनी में अन्तर ही नहीं बल्कि यह लोगों के साथ खुलेआम धोखाधडी है। इनका विरोध पूर्णतः दिखावटी और मैच फिक्सिंग जैसा है।सरकार ने पूरे विपक्ष को चुनौती दी है कि वह एफ0डी0आर0 से होने वाले नुकसान को बताए लेकिन विपक्ष के पास कोई जवाब नहीं है।वास्तव में एफ0डी0आर0 अब कोई मुद्दा बन भी नहीं सकता है क्योंकि सुई के छेद से पूरा हाथी निकल चुका है केवल पूॅछ बची है इस पूॅछ को लेकर हायतौबा मचाने का अब कोई औचित्य भी नहीं है। देश मे लागू की जाने वाली नीतियां कोई भोजन का थाल नहीं है कि जो आपको पसंद न हो उसे छोड दें और जो आपको स्वादिष्ट लगे उसे ही खायें, या तो पूरा थाल खाना होगा या फिर पूरा ही छोडना होगा ।यह दुखद है लेकिन निश्चित है कि एफ0डी0आर0 का विरोध देर सवेर उसी तरह दम तोड देगा जैसे कि स्वदेशी आंदोलन ने दम तोड दिया। यह देश सरकार के कारण बरबाद होगा या नहीं यह कहना कठिन है लेकिन विपक्ष ,इसकी बरबादी का कारण निश्चित ही बनने जा रहा है।


कोई टिप्पणी नहीं: