गुरुवार, 25 मई 2017

अपनी राजनीति के लिए भारतीय फौज की तस्वीर बिगाडने वाले।

   भारतीय सेना की जीप से बॅधें एक युवक की सोशल मिडिया में जारी तस्वीरों और उसके बाद किन्हीं परेश रावलों, किन्हीं सोनू निगमांे, किन्हीं अभिजीतों और किन्हीं लम्पट राजनीतिज्ञों के ट्विटों से ऐसा साबित करने की कोशिशें की जा रही हैं कि मानों हमारी सेना का यही वास्तविक चेहरा है और यह सेना में यह मौजूदा बदलाव इन राजनीतिज्ञों के ईशारों पर हो रहा है। मेजर गोगोई ने एक तात्कालिक कदम उठाया इसकी विवेचना सार्वजनिक तौर पर बिल्कुल नहीं की जा सकती है यह सेना का अंदरूनी मामला है। जब तेजबहादुर की शिकायत सामने आई तब भी देश ने उसे सेना का अंदरूनी मामला माना गया। उस समय किसी नेता ने उन्हें पद्म विभूषण देने की सिफारिश नहीं की और ना ही जॉच से पहले उनका सम्मान करने या दूसरे किस्म की भडकाउ बातें की। मेजर गोगोई के कंधे पर इस तरह बंदूक रखकर जो लोग अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं वे सभी बदमाश हैं। भारतीय सेना की छवि इस तरह बदली नहीं जा सकती है और अपनी राजनीति के लिए जो तत्व ऐसा करने की जुर्रत कर रहे हैं हमें उनसे सावधान रहना चाहिए।   हम जानते हैं कि सुरक्षा बलों में कोई बुनियादी बदलाव नहीं किया जा रहा है। जिसका दावा 56 इंच के छाती वाले करते रहे। आज भी माओवादी हमारे सुरक्षा बलों को मार रहे हैं, कश्मीर में हालात खराब ही हैं ,पाकिस्तान को शॉल भेजने से लेकर उनके यहॉ बिरयानी खाने तक सारी बाजारू हरकतें कर ली गयी, इससे स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। जवानों के लिए बुनियादी सुविधाओं में पर्याप्त सुधार किये जाने की जरूरत है। नौसेना के 27 जवान अब तक लापता है सरकार उस पर कुछ नहीं बोल रही है एक लडाकू जहाज दो पाईलैटों सहित चीन की सीमा पर खो गया है इस मामले में सरकार ही असहाय दिख रही है। देश में बलात्कार की घटनायें लगातार बढती ही जा रही हैं,  भीड किसी को भी मार  रही है, नौकरियों में लगातार गिरावट आ रही है, विदेशी निवेश की हालत निराशाजनक है। मोदी की नोटबंदी की हकीकत उजागर हो गयी है। योग से लेकर गीता बॉटनें के मोदी के तमाम शोशे अब सुर्खियां नहीं बटोर पा रहे हैं। देश में बुनियादी तौर पर कुछ भी नहीं बदला है सिर्फ मोदी की जयजयकार के अलावा । हालात हर रोज बदतर होते जा रहे हैं। देश की सुरक्षा के मामले में भी यही स्थिति है सुरक्षा बल की अपनी चुनौतियों के बावजूद शानदार काम कर रहे हैं हमें पूरे सुरक्षा बलों को समग्रता में सम्मानित करना होगा और यह काम उनकी जरूरतें पूरी करके ही उन्हें सम्मानित किया जा सकता है। तेजबहादुर का सवाल बना रहे और हम किसी चुनिदां मामले को उठाकर वाहवाही करने लगें यह मूर्खता है जो देर सवेर उजागर हो ही जाऐगी। सेना बहुत बडी बात है उसे इन परेश रावलों, सोनू निगमांे, अभिजीतों और लम्पट राजनीतिज्ञों  के सर्टिफिकेटों की जरूरत नहीं है।

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