शुक्रवार, 18 मार्च 2011

भ्रष्टाचार पर भटकती बहस।



हमारे देश को अक्सर भ्रष्टतम देशों में से एक कहा जाता है।इसके पक्ष में अनेकों सर्वेक्षणों की रिपोर्टें उपलब्ध है।इस तथ्य को स्वीकार न करने का भी कोई कारण भी नहीं है। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि जिस देश में 70 करोड लोगों की औसत आमदनी 20 रूपये प्रतिदिन है देश की बडी आबादी केवल जिन्दगी जीने के लिए संघर्ष कर रही है जहॉ निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को भी भ्रष्टाचारी कहने का कोई आधार नहीं है। तो फिर पूरे देश पर भ्रष्टाचारी होने का लेबल कैसे लगाया जा सकता है?यह एक गम्भीर सवाल है।
 यह सब जानते हैं कि भ्रष्टाचार का स्वयं में कोई अस्तित्व नहीं है। यह तो सत्ता शिखर पर भ्रष्ट लोगों की मौजूदगी का सबूत है।या फिर उन लोगों की उपस्थिति का प्रमाण है जोकि भ्रष्ट  होने के बावजूद अब सत्ता तक पहुॅच चुके हैं। भ्रष्टाचार इनकी उपस्थ्तिि का असर है। जब तक ऐसे लोग मौजूद रहेगें तब तक भ्रष्टाचार रहेगा। सत्ता या समाज के केन्दों में सदाचारी लोग होगें तो सदाचार फैलेगा और जब भ्रष्ट लोग होगें तो भ्रष्टाचार फैलेगा ।यह केवल सदाचारी की कीर्ति, और भ्रष्ट लोगों की की दुर्गन्ध जैसा है,इसका अपना कोई वजूद नहीं है। इसलिए भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने के लिए पहले भ्रष्ट लोगों को पराजित करना ही रास्ता है यदि इनको केवल हटाया गया तो कल फिर से ये लोग काबिज हो जाऐगें। भ्रष्टाचार को केवल संकेतक मानकर भ्रष्ट लोगों को नैतिक,सामाजिक,धार्मिक और राजनीतिक रूप से पराजित करना होगा। जो लोग भ्रष्टाचार को ही मुद्दा मानते हैं दरअसल उनको भ्रष्ट लोगों से कोई आपत्ति नहीं है।  केवल उनके आचरण से परहेज है। इस मानसिकता की गहरायी को यदि समझा जाए तो समझ में आता है कि जो लोग भ्रष्टाचार पर राजनीति करते है वे केवल इसको अपने हित के लिए एक अवसर की तरह इस्तेमाल करते है। यह भी एक प्रकार का भ्रष्टाचार जैसा ही होता है, बोफोर्स कांड इसका उदाहरण है। कल को भ्रष्ट लोग ऐसी तरकीबें निकाल ही लेगें जब इनको पकड पाना असम्भव होे जाऐगा। लेकिन भ्रष्टाचार चलता ही रहेगा बल्कि ये लोगों का जीना मुहाल कर देगें।फिर भ्रष्टाचार को समाप्त करना तो दूर इस पर कुछ करना ही असम्भव हो जाऐगा।

  भ्रष्टाचार पर जो लोग भी वक्तव्य देते हैं उनके अपने निहितार्थ है।यह लोगों को महसूस होता है कि लोग भ्रष्टाचार से पीडित हैं यह भ्रम ही है वास्तव में ,लोग भ्रष्ट लोगों से त्रस्त हैं । यह बडी होशियारी की चाल है कि भ्रष्टाचार को मुद्दा बना दिया जाता है। जिनके भ्रष्ट होने के कारण समाज दुर्गति के गर्त में जा रहा है। उनको बचाकर केवल आचरण पर ही चर्चा हो यह धोखेबाजी है। भ्रष्टाचार बहुत वायवीय मुद्दा है। बात ठोस आधारों पर ही की जा सकती है। जो लोग देश को भ्रष्टाचारी कहते हैं वे गलत ही नहीं बल्कि शरारती भी हैं। हमारे देश को भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता है,बल्कि सच्चाई यह है कि यह भ्रष्ट लोगों द्वारा प्रताडित है।

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