मंगलवार, 2 अगस्त 2011

मंहगायी के गीत पर सरकार और विपक्ष का संगीत।

मंहगायी के खिलाफ विपक्ष का आंदोलन फिर से शुरू हो गया है। संसंद कंे मंच से विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि हम मंहगायी के खिलाफ है और इसे हटाना चाहते हैं। और सरकार यह साबित करने में जुटी है कि हम अब भी जनता के हित में ही काम कर रहे हैं और जमाखोरों ,कालाबाजारियों और लुटेरों से हमारी कोई सॉठ-गॉठ नहीं है। लोग तो मंहगायी से न सिर्फ त्रस्त हैं बल्कि पस्त भी हैं।इसलिए सरकार और विपक्ष का नाटक झेलने के सिवाय लोगों को कुछ थी समझ में नहीं आ रहा है। मंहगायी ऐसी उलझी हुई गॉठ है कि उसका कोई भी सिरा आम लोगों की पकड में नहीं आ पाता है। सिर्फ उसका असर लोग महसूस करते हैं और लोग प्रभावित होते हैं। मंहगायी उस तरह कहीं दिखाई नहीं देती है कि उसके खिलाफ सडकों में उतरा जाए और आंदोलन किया जाए, इसको हटाने की मांग की जाए इसका असर लगभग उसी हाइड्रोजन बम की तरह है, जो केवल आक्सिजन को खत्म करता है और लोग मरने लगते हैं सम्पत्ति ( जिसमें इंसान की गिनती नहीं की जाती है ) को कोई नुकसान नहीं पहुॅचता है। इसी तरह मंहगायी से भी लोग बिना प्रतिरोध किये लोग मरते जा रहे हैं जो बचे रहते हैं वे घुट-घुट के मरते रहते हैं।
इस मंहगायी के खेल से ही हमारे भ्रष्ट नेता ,अधिकारी और धन्ना सेठों ने अथाह सम्पत्ति इकठ्ठा कर ली है ,अब मंहगायी कितनी ही हो जाए उनका भविष्य सुरक्षित है वे करते जा रहे हैं,और करते ही जाऐगें। इन लोगों के द्वारा अपना भविष्य सुरक्षित करने की सनक ने देश का भविष्य असुरक्षित कर दिया है। अमेरिकी कम्पनी एपल के पास अमेरिकी सरकार से भी अधिक नगद सम्पत्ति है। लेकिन अचरज न होगा कि हमारे यहॉ एक भ्रष्ट नेता अधिकारी और धन्ना सेठ के ही पास हमारे राजकोष से भी अधिक नकद धनराशी निकल आये।
यह हमारी व्यवस्था के लिए बेहद शर्मिदगी की बात है कि लोग घुट-घुट कर जी रहे हैं और मर रहे हैं। लेकिन जनप्रतिनिधि इसमें भी राजनीति कर रहे हैं जो विपक्ष में हैं वे मंहगायी पर आंदोलित दिखने की कोशिश कर रहे हैं और जो सत्ता-सुख ले रहे हैं वे मंहगायी को तर्कसंगत ठहरा रहे हैं ।कल को विपक्ष सत्ता में आयेगा फिर वह मंहगायी को तर्कसंगत ठहरायेगा और आज के सत्ताधारी कल को क्रान्तिकारी बन जाऐगें। यह तंत्र लोगों ने अपनी कठिनाईयां दूर करने के लिए बनाया है न कि सत्ता के कुतर्क सुनने के लिए!

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