9/11 की घटना को दस वर्ष पूरे होने पर एक सवाल लगभग सभी के दिमाग में है कि इन दस वर्षों में 9/11 के कारण दुनियां कितनी बदली है। इसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय हैं, लेकिन एक तथ्य से शायद ही कोई असहमत होगें कि बेगुनाहों का मरना अब भी उसी तरह जारी है जैसे कि 9/11 से पहले था।फर्क इतना ही पडा है कि पहले इन्हीं आतंकवादियों को अमेरिका का समर्थन और सहयोग था अब अमेरिका ही इनके खिलाफ हो गया है। आतंकवादियों को पाकिस्तान के जरिए जैसा खुला समर्थन अमेरिका ने दिया था वह किसी से छुपा नहीं है। कम से कम भारत के सम्बन्ध में तो यह कहा जा सकता है कि चाहे पंजाब का आतंकवाद हो या कश्मीर का आतंकवाद यह अमेरिकी मदद के बिना कर पाना तो दूर, पाकिस्तान के लिए सोचना भी असम्भव था। भोपाल गैस कांड के आरोपी एंडरसन को रातों-रात भारत से निकालने का काम हो या पाकिस्तान में एक अमेरिकी ऐजेंट द्वारा दो पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या के आरोपी को वहॉ से निकालने का काम हो अमेरिका के लिए आतंकवाद की अपनी परिभाषा है, उसके अपने फैसले हैं, और दुनियां भर में वह इनको पहले भी लागू करता था और आज भी कर ही रहा है।दुनियां भर की पिछलग्गू सरकारें केवल इनकी हॉ में हॉ मिलाने का काम करती है।
आतंकवाद की अमेरिकी परिभाषा के साथ अपने को जोड लेना अमेरिकी आतंकवाद के साथ होने जैसा है। 9/11 के बाद अमेरिकी नीति में जो फर्क आया है उस पर ध्यान देना जरूरी है। पहले अमेरिका दुनियां भर के तानाशाहों और अमेरिका परस्त शासकों के दम पर अपनी राजनीति करता था लेकिन 9/11 के बाद उसे खुलकर सामने आना पडा है। क्योंकि बात अब उस तक ही आ चुकी थी । जब खुद के पाले हुए आतंकवादी ही पीछे पड गये हों तो ख्,ाुलेआम बमबारी करना अमेरिका की मजबूरी हो गयी है। यह काम वह अब किसी के द्वारा करवा नहीं सकता है इसलिए खुद ही उसे सामने आना पडा है। यह कोई आतंकवाद के खिलाफ ईमानदार लडाई नहीं कही जा सकती है। यह केवल अमेरिका का अपने एजेटों को संदेश है कि यदि सीमा का उल्लघंन किया तो नेस्तनाबूत कर दिये जाओगे।
9/11 की घटना अमेरिकी राजनीति,कूटनीति और सैन्य समीकरणों के लिहाज से उनके लिए निर्णायक मोड हो सकता है लेकिन दुनियां में फैल चुके इस आतंकवाद के पीछे अमेरिका ही मुख्य कारण है इसे कौन नकार सकेगा? मुम्बई और दिल्ली समेत हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद के कारण जो कीमत हमने चुकाई है वह 9/11 से किसी भी मामले में कम नहीं है। 9/11 खुद अमेरिकी नीति के लिए सबक हो सकता है । यह सवाल महत्वपूर्ण है कि आतंकवादियों के पास हथियार और पैसा कहॉ से आता है इनके पीछे अलग-अलग देशों की सरकारों के हित और उनके भविष्य की योजनायें है। जब तक यह खेल खत्म नहीं होता है तब तक आतंकवाद के खिलाफ आतंकवाद तो चलाया जा सकता है जिस तरह ईराक ,अफगानिस्तान और कमोवेश पाकिस्तान में बमबारी करके चलाया जा रहा है। यह 9/11 जैसी ही क्रूरतम आतंकवादी कार्यवाही है। इससे किसी भी मामले में जरा भी कम नहीं है। 9/11 के बाद आतंकवाद पर अमेरिकी प्रतिक्रिया का दौर शुरू हो चुका है, आतंकवाद जारी है ,पहले अमेरिका अपने ऐजेन्टों के जरिए यह काम करवाता था और इन्हें मुजाहिदीन कहता था, अब इनको कुचलने के नाम पर बेगुनाहों पर बमबारी की जा रही है 9/11 के नाम पर जिस देश को चाहे वह रौंदता ही चला जा रहा है,
आतंकवाद की अमेरिकी परिभाषा के साथ अपने को जोड लेना अमेरिकी आतंकवाद के साथ होने जैसा है। 9/11 के बाद अमेरिकी नीति में जो फर्क आया है उस पर ध्यान देना जरूरी है। पहले अमेरिका दुनियां भर के तानाशाहों और अमेरिका परस्त शासकों के दम पर अपनी राजनीति करता था लेकिन 9/11 के बाद उसे खुलकर सामने आना पडा है। क्योंकि बात अब उस तक ही आ चुकी थी । जब खुद के पाले हुए आतंकवादी ही पीछे पड गये हों तो ख्,ाुलेआम बमबारी करना अमेरिका की मजबूरी हो गयी है। यह काम वह अब किसी के द्वारा करवा नहीं सकता है इसलिए खुद ही उसे सामने आना पडा है। यह कोई आतंकवाद के खिलाफ ईमानदार लडाई नहीं कही जा सकती है। यह केवल अमेरिका का अपने एजेटों को संदेश है कि यदि सीमा का उल्लघंन किया तो नेस्तनाबूत कर दिये जाओगे।
9/11 की घटना अमेरिकी राजनीति,कूटनीति और सैन्य समीकरणों के लिहाज से उनके लिए निर्णायक मोड हो सकता है लेकिन दुनियां में फैल चुके इस आतंकवाद के पीछे अमेरिका ही मुख्य कारण है इसे कौन नकार सकेगा? मुम्बई और दिल्ली समेत हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद के कारण जो कीमत हमने चुकाई है वह 9/11 से किसी भी मामले में कम नहीं है। 9/11 खुद अमेरिकी नीति के लिए सबक हो सकता है । यह सवाल महत्वपूर्ण है कि आतंकवादियों के पास हथियार और पैसा कहॉ से आता है इनके पीछे अलग-अलग देशों की सरकारों के हित और उनके भविष्य की योजनायें है। जब तक यह खेल खत्म नहीं होता है तब तक आतंकवाद के खिलाफ आतंकवाद तो चलाया जा सकता है जिस तरह ईराक ,अफगानिस्तान और कमोवेश पाकिस्तान में बमबारी करके चलाया जा रहा है। यह 9/11 जैसी ही क्रूरतम आतंकवादी कार्यवाही है। इससे किसी भी मामले में जरा भी कम नहीं है। 9/11 के बाद आतंकवाद पर अमेरिकी प्रतिक्रिया का दौर शुरू हो चुका है, आतंकवाद जारी है ,पहले अमेरिका अपने ऐजेन्टों के जरिए यह काम करवाता था और इन्हें मुजाहिदीन कहता था, अब इनको कुचलने के नाम पर बेगुनाहों पर बमबारी की जा रही है 9/11 के नाम पर जिस देश को चाहे वह रौंदता ही चला जा रहा है,
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