रविवार, 30 अक्तूबर 2011

उडनपरी को मंत्री का साथ !

              मंत्रियों के बयानों को लेकर लोगों में अक्सर उदासीनता का भाव रहता है।कम से कम यह उम्मीद करना तो बहुत ही कठिन हो जाता है कि कोई मंत्री आम लोगों की भावना को व्यक्त करें,दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में फार्मूला-1 कार रेस आयोजन पर केन्द्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने जिस तरह प्रतिक्रिया दी है। वह ध्यान देने योग्य है ही, साथ ही उनके नजरिए से  सुखद आश्चर्य के साथ-साथ थोडा सकून भी मिलता हैं ।हमारे देश की अन्तर्राष्ट्रीय ,ख्यातिनाम धाविका पी0टी0 उषा ने ग्रेटर नोएडा में फार्मूला-1 कार रेस आयोजन को खेल आयोजन कहे जाने पर महत्वपूर्ण सवाल उठाये हैं साथ ही इसके प्रति अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है।  लेकिन घॅुआधार प्रचार ,ग्लैमर,तडक-भडक और शोर-शराबे में लग रहा था कि उषा के सवालों को रौंद दिया जाएगा लेकिन ठीक इसी वक्त पर खेलमंत्री पी0टी0 उषा की खेल अकादमी की अधारशिला रखने पहुॅचे हैं बल्कि उन्होनें इस आयोजन के स्तर के अनुरूप शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अपनी राय भी रखी है। इससे पहले ही खेल मंत्री इस आयोजन को 600 करोड रू0 की कर रियायत देने की याचना को ठुकरा चुके थे। हमारी उडनपरी ने इस आयोजन पर कोई सवाल नहीं उठाये है बल्कि उन्होने पूछा है कि धंधे को खेल कैसे कहा जा रहा है? विदेशी मोटर कम्पनियां अपने देश की तकनीक का प्रदर्शन कुछ पेशेवर वाहन चालकों के मार्फत कर रही हैं लगभग उसी तरह जैसे कि एयर शो होते हैं अथवा रेस कोर्स में दौड होती हैं। ये सब या तो प्रदर्शन हैं,या फिर इसमें दॉव लगाये जाते हैं,या इनमें विज्ञाापन के स्टीकर लगाये जाते हैं। ये खेल तो कहीं से कहीं तक नहीं हैं। कुछ लोग जुए को भी खेल कह सकते हैं लेकिन जुआ सिर्फ जुआ है वह खेल हो ही नहीं सकता है। टी0-20 क्रिकेट पर भी पी0टी0 उषा ने सवाल उठाये हैं, टी0-20 क्रिकेट ही नहीं बल्कि क्रिकेट के किसी भी प्रारूप में शुद्धतम खेल नहीं है। इसमें खिलाडियों से अधिक खेल पिचों का होता है,नई गेंद और पुरानी गेंद भी अपना खेल खेलती ही हैं  और टॉस भी अक्सर निर्णायक हो जाते हैं ऐसे में खिलाडियों के लिए खेलने की बहुत ही कम गुंजाइस बच पाती है। क्रिकेट के अतिरिक्त शायद ही कोई खेल ऐसा होगा जिसमें पिच,गेंद और टॉस का इतना गहरा असर होता है। क्रिकेट में खिलाडियों को खेलने की गुंजाइस इतनी नहीं होती है कि इसे भी शुद्धतम खेल कहा जा सके।
फिलहाल उडनपरी का खेलों की हिफाजत के लिए आगे आना खेल जगत में नई उषा का आगमन जैसा है। लेकिन अजय माकन का पी0टी0 उषा के साथ खडे होना अब तक तो अविश्वसनीय ही लग रहा था, लेकिन चिगूॅटी काटने के बाद ही पता चला कि यह स्वप्न नहीं बल्कि फिलहाल तो सच्चाई है।चाहे सच्चाई कितने ही कम दिन के लिए हो लेकिन सच्चाई का होना सुखद तो है ही।



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