बुधवार, 12 अप्रैल 2017

तीन तलाक पर राजनीति।

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत के बाद से  राजनीतिक नारेबाजी का पूरा ऐजेण्डा ही बदला गया लगता है। योग, कालाधन, स्वच्छ भारत, और शौचालय जैसे नारे अब पृष्ठभूमि में डाल दिये गये हैं। आजकल फिजाओं में तलाक और गौरक्षा का शोर है। तलाक भी केवल मुस्लिम महिलाओं के बारे में ही, बाकी समुदाय में तलाक का बाकायदा प्रावधान ना होने के बावजूद बडी संख्या में जिस तरह पति पर निर्भर महिलायें असहाय अवस्था में चली जाती हैं उनके बारे में कोई बात नहीं की जा रही है। तीन तलाक का मतलब भी यही दिखाने की कोशिश की जा रही है कि यह ऐसी कुप्रथा है जो कि एक खास समुदाय की महिलाओं को ही तकलीफ दे रही है, और उन तक ही सिमित है, हमें उन्हें किसी तरह बचाना है। हद तो तब हो गयी जब एक लम्पट मानसिकता वाली साध्वी ने खुलेआम कहा है कि उस समुदाय की लडकियां हमारे समुदाय के लडकों से प्रेम निवेदन करें तो वे आराम से रह सकेंगंी। इस बयान का तीन तलाक अभियान के प्रणेताओं ने कोई विरोध नहीं किया और ना ही कोई आपत्ति जताई, जाहिर है कि इस बयान का वे भी समर्थन करते हैं। इसका मतलब निकला जा सकता है कि यह बयान अधिकृत रूप से भाजपा का बयान  है।  जबकि यह पूरी तरह पागलपन भरा बयान है। ऐसा कहना गलत है  कि किसी भी समुदाय में तीन तलाक की प्रथा है क्योंकि मुस्लिम समुदाय के सभी पुरूष अनिवार्य रूप से अपनी पत्नियों को तलाक देते हों ऐसा देखने में नही आता है, अधिकतर जोडे विवाह करके आराम से उसी तरह रहते हैं जैसे किसी भी दूसरे किसी समुदाय के परिवार रहते हैं। यदि यह प्रथा होती तो हर विवाहित जोडे में तलाक की अनिवार्य रस्म होती, वास्तव में जिसे प्रथा कहा जा रहा है वह प्रथा नहीं मानसिकता है ठीक वैसे ही जैसे कि मुस्लिम समुदाय के अलावा जितने भी समुदाय हैं उनमें भी पुरूष अपनी पत्नियों को तलाक देते रहते हैं। कुछ मामलों में तो बिना पत्नी को बिना सूचना के ही छोड दिया जाता है जबकि वे  आर्थिक मामलों में पूरी तरह पति पर निर्भर होती हैं। और तलाक के बाद किसी आर्थिक सहायता का भी कोई पालन नहीं करता है।  बहुत से ऐसे ख्यातिनाम लोगों के उदाहरण भी हैं जो कथित तौरा पर हिन्दु हैं जिन्होंने शहर में जाकर अपने नये परिवार बसा लिए और गॉव में पत्नी उनके लिए करवा चौथ का व्रत रखती आ रही है। इसलिए इस तरह के मामलों में राजनीति करने और  नये किस्म के घालमेल करने कह बजाए इस मामले पर खुलकर बात की जानी चाहिए। पागल साघ्वी या दूसरे लोग इस तरह बयान दे ंतो उन पर ना सिर्फ मुस्लिम समाज की ओर से बल्कि हिन्दु समाज की ओर से भी आपत्ती जताई जानी चाहिए कि सारे हिन्दुओं के तुम ठेकेदार कब से हो गये?



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