बुधवार, 26 अप्रैल 2017

भक्त हारे भी और जीते भी।

एम0सी0डी0 चुनावों में आप पार्टी की पराजय और भाजपा की विजय पर बहस लगातार जारी है, हालांकि आप पार्टी की हार और भाजपा की जीत ये दो अलग-अलग मुद्दे हैं। फिर भी भाजपा वाले इस परिणाम को मोदी लहर के लगातार बने रहने के रूप में प्रचारित कर रहे हैं और केजरीवाल की दो साल पहले हैरतअंगेज और चमत्कृत कर देने वाली जीत को इस समय यह कहकर छोटा साबित करने में लगे हैं कि मोदी इफैक्ट ने आखिरकार दिल्ली वालों की उस चूक को सुधार दिया है। लेकिन यह सवाल फिर भी लोगों के मन में अपनी जगह बनाये हुए है कि दो साल पहले दिल्ली वालों ने केजरीवाल पर भरोसा ज्यादा कर लिया गया था या केजरीवाल ने ज्यादा चतुराई से लोगों को बहका लिया। क्या आज मोदी उसी तरह ज्यादा चतुराई से लोगों को बहकाने में सफल हो रहे हैं? जिस तरह दिल्ली में केजरीवाल की लहर चली थी उसके मुकाबले में मोदी आज भी कहीं नहीं ठहरते हैं। उस समय पूरी दुनियां ने दिल्ली विधानसभा चुनावों पर अलग-अलग तरह से प्रतिक्रियायें दी थी। अभूतपूर्व और चकित कर देनी वाली आप पार्टी की उस लोकप्रियता को आज दो साल भी नहीं हुए कि अपनी अलोकप्रियता के कारण यही पार्टी आज एक मजाक का विषय बन चुकी है और उस समय के कथित क्रान्तिकारी हीरो केजरीवाल आज मसखरे और मूढमति साबित हो गये हैं। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक ही है कि जिस आप पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा को लगभग धूल में मिलाते हुए तहलका मचा दिया था उनकी लोकप्रियता की उम्र इतनी कम कैसे रही। ऐसे में यह सवाल लोगों में उत्सुकता पैदा कर रहा है कि मोदी लहर की अनुमानित उम्र कितनी होगी। मोदी और केजरीवाल ने अपनी वाचालता, सोशल मिडिया और दूसरे समूहों के साथ जोड-तोड के जरिए अचानक लोकप्रियता पायी है और सत्ता के शीर्ष तक पहुॅचे भी हैं, ये लोग शीर्ष पर कितनी देर टिके रह सकेगें इसका अनुमान लगाना कठिन है। लेकिन इतना तो तय है कि इनकी लोकप्रियता की अवधि लगातार कम होती जाऐगी। हालांकि मोदी भक्त अभी कल्पना भी नहीं कर सकते है कि कुछ ही दिनों में मोदी का भी यही हाल हो सकता है जो आज केजरी का हुआ है। दो साल पहले केजरीभक्त  ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि इतनी जल्दी इनका इतना बुरा हाल हो सकता है। उस समय ऐसी किसी भी आशंका का अनुमान भी नहीं किया जा सकता था उस समय कोई कहता भी तो उसकी हॅसी उडाई जाती या उसे पागल ठहराया जा सकता था। फिलहाल भक्तों के लिए यह नाजुक मौका है केजरी भक्त उदास हैं और मोदी भक्त प्रसन्न हैं।


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