शनिवार, 22 अप्रैल 2017

जिन्ना का जिन्न फिर से हुआ बेकाबू, रविशंकर को जकडा।

जिन्ना की सरपरस्ती में मुस्लिम लीग ने टू नेशन थ्योरी दी थी जिसके अनुसार दो धर्म के लोग एक राष्ट्र में समान रूप से विकास नहीं कर सकते है इसलिए एक साथ रह भी नहीं सकते हैं। इस आधार पर देश के टुकडे किये गये और भारत विभाजन किया गया। लगता है कि जिन्ना का जिन्न, जिसने ना सिर्फ पाकिस्तान बनाया बल्कि उसे मिटाने के कगार पर भी ला खडा कर दिया है, और अब रविशंकर के जरिए भाजपा के सिर चढकर बोलने लगा है। मुसलमानों के बारे में रविशंकर प्रसाद ने जो ताजा बयान दिया है वह इनके बुलंद होते हौसलों का तो सबूत नहीं कहा जा सकता है, बल्कि भाजपा की हताशा इससे साफ नजर आती है। किसी भी पार्टी की सरकार हो वह समाज की विभिन्न मान्यताओं परम्पराओं और विश्वासों को इस तरह चुनौति कभी नहीं देती है जैसी भाषा रविशंकर बोल रहे हैं, यह विभाजनकारी भाषा है। आतंकवादी, पृथकतावादी समाजविरोधी लोग इस तरह नकारात्मक बातें करते रहे हैं लेकिन सरकार इस तरह की बातें करे तो अनुमान लाया जा सकता है कि चीजें सरकार के हाथों से निकलती जा रही हैं। आम आदमी चाहे मुसलमान हो या हिन्दु हो इसके जरिए सरकार क्या साबित करना चाहती है? क्या मुसलमानों के वोट की ताकत अलग और दूसरे लोगों के वोट की ताकत में अन्तर है। या कोई वर्ग दूसरे दर्जे का नागरिक है जो अवांछित है। सरकार को मालूम होना चाहिए कि वह देश की माईबाप बनने की कोशिश ना करे। सरकार एक प्रकार की बडी महापालिका है जिसके पास साफ सफाई से लेकर रक्षा, वित, विज्ञान, न्याय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों की भी जिम्मेदारी है साथ ही साामजिक सुरक्षा से लेकर रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा, आवास की जवाबदेही है। अपना काम छोडकर कर इस तरह लोगों की जात-औकात का मूल्यांकन करना खुली बदमाशी है।  जिसकी ऑख में मोतियाबिंद हो उसे दुनियां बदलने की नहीं अपना ऑख का उपचार करवाने की जरूरत है। भारत जैसा है उसे हर किसी को मंजूर करना ही होगा। भाजपा के हिसाब से भारत नहीं बदलने वाला है इस पर हमेशा से ही ध्यान देने की जरूरत है इतिहास की किसी भी तरह की मनगंढत व्याख्या , द्व्रेषपूर्ण विष्लेषण और तथ्यों के गलत प्रस्तुतिकरण से कोई समस्या हल नहीं हो सकती है मूल बात यह है कि हिन्दु-मुसलमान कोई समस्या है ही नहीं जो लोग इसे समस्या की तरह पेश करते हैं दरअसल यह उनकी राजनीतिक मजबूरी है वे मुसलमान अथवा हिन्दुओं का खौफ बनाकर प्रतिक्रिया में दूसरे तरह के लोगों के ठेकेदार बनने की कोशिश करते हैं यही इनकी कुल राजनीतिक जमा पूॅजी और दर्शन है। यदि कोई इसे यही साबित करने की कोशिश करता है तो फिर वह जातिगत भेदभाव, आर्थिक भेदभाव और सामाजिक भेदभाव जो कि हिन्दु- मुसलमान दोनों ही समुदायों में समान रूप से फैले हैं उनसे मुॅह कैसे चुरा सकता है और उनका समाधान कैसे करेगा?


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